" मन करता है सागर बनकर "
मन करता है सागर बनकर,
दूर तलाक तक मैं लहराऊँ |
मन करता है हवा बनकर,
घने बगिया को छू आऊँ |
मन करता है चंदा बनकर,
अंधियारे को दूर भगाऊँ |
मन करता है तारा बनकर,
एक नया संसार बनाऊँ |
मन करता है सूरज बनकर,
किरण की नयी उम्मीद जगाऊँ |
मन करता है एक इंसान बनकर,
इस धरती में मानवता के बीज उगाऊँ |
कवि : कामता कुमार , कक्षा :7th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं कामता कुमार जो की बिहार के एक नवादा जिले के एक गांव के रहने वाले हैं इस समय कामता अपना घर में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं | सच में कामता मानवता के बीज बोन के लिए प्रयत्न करते हैं | कामता को क्रिकेट खेलने का बहुत शौक है |
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