" हवा "
सर - सर चलती हवा,
फर - फर आती हवा |
कपडे उड़ा ले जाती हवा,
आसमान में छोड़ आती हवा |
गर्मी में ढूढ़ते लोग,
चले जाते हवा की ओर |
न मिलता हवा उनको,
थक जाते गर्मी में वो |
तब मिलता हवा उनको,
तब लेते चैन की साँस वो |
सर - सर चलती हवा,
फर - फर आती हवा |
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप के परिजन साल में अधिक समय कानपुर में रहते हैं काम करने के लिए | कुलदीप को कवितायेँ लिखने के आलावा डांस और खेलना खूब पसंद है |
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