" पढ़ाता है तू, "
अनपढ़ों को पढ़ाता है तू,
सबके दिल को छू जाता है तू |
इस देश के वासियों को,
अच्छी बातें है बताता तू |
हिंसा तेरे बस में नहीं ,
अहिंसा का पाठ पढ़ाता |
अगर तू ये काम न करता,
गाँधी नहीं कहलाता तू |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर
कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो की इलाहबाद से अपनाघर में पढ़ाई के लिए आएं हैं | संगीत इनका मनपसंद चीज़ है | कवितायेँ लिखने के साथ -साथ अच्छे -अच्छे गीत भी लिखा करते हैं | माता -पिता की ख्वाहिश है की ह पढ़ लिखकर कुछ समाज के लिए काम करे |
5 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 14 नवम्बर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अच्छी रचना है ...
बहुत सुन्दर ....,
बहुत सुन्दर ....,
अच्छा लिखा है।
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