सोमवार, 20 मार्च 2017

कविता: होली


"होली"

होली आई होली आई ,
रंगों की बरसात लाई |
तरह तरह के रंग लाई,
होली के रंग मुझको भाई |
पिचकारी से जब निकली होली,
ऐसा लगा बन्दूक से निकली गोली |
सुबह भूलो ,शाम को भूलो,
पर होली में रंग लगाना न भूलो |

बाल कवि: अजय कुमार,  कक्षा 2nd, कानपुर

 

अजय (Ajay) "अपना घर" परिवार के सदस्य है। ये बिहार के नवादा जिले के रहने वाले है। इनका परिवार ईट भठ्ठों में प्रवासी मजदूर का कार्य करते है. अजय यंहा "आशा ट्रस्ट" के कानपुर केंद्र "अपना घर" में रहकर, शिक्षा ग्रहण कर रहे है। वर्तमान में ये कक्षा 2nd के छात्र है। अजय को कविता लिखने में बहुत रूचि नहीं है, पर कभी-कभी लिख देते है। भारतीय क्रिकेट टीम के बहुत बड़े फैन है| अजय को हँसना बहुत पसंद है, इसलिए इनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है. उम्मीद है कि आपको इनकी होली पर लिखी कविता पसंद आएगी | 

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