शुक्रवार, 3 मार्च 2017

कविता: जिन्दगी के बदलाव


"जिन्दगी के बदलाव"

हम लोग तो एक मुस्कान जैसे हैं ,
रात्रि के खिलते चाँद के जैसे है.
हमारी जिंदगी तो खुला आसमान जैसा है,
फिर ये जिन्दगी में फैला जंजाल कैसा है
हम तो उड़ते हुए एक चिड़िया जैसे  है ,
तो पिंजरों में रहने की ये आदत कैसे है.
काश की फिर वो मुस्कान ला सके,
जो खो गए पंख उन्हें फिर पा सके.
उड़ जाए आजाद हो ऊँचे आसमान में,
जिन्दगी फिर हो रात के खिलते चाँद में.

कवि: राज कुमार, कक्षा 7th, कानपुर

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