"ये काले-काले बादल"
ये काले-काले बादल,मचलना चाहते है,
ये काले-काले बादल,मचलना चाहते है,
गरज गरज कर कुछ कहना चाहते है ।
ये बादल शायद हमको बुलाते है ,
बूंद के बौछार से ये मन बहलाते है ।
दूर खड़े रहूँ तो मेरा मन ललचाता है,
अगर भीग जाऊ तो दिल बहल जाता है।
कवि: देवराज, कक्षा 6th, अपना घर
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