सफलता
उभरते-उभरते आसमान में पहुंचे
,
पर मंजिल बाकि है /
लड़खड़ाते -लड़खड़ाते खड़े हुए
पर चलना बाकि है /
सरे सरहदों को पर करके
हमीं बनानी है अपनी दुनियां
/
क्योंकि अत्याचारी की नहीं है कमी यहाँ ,
अच्छाइयों के तरफ सिकनी है इस दुनियां
को /
भगानी है बुराइयों को
सफलता दिखानी है बच्चों को /
नाम =देवराज
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