तू कितना जरुरी है
तू कितना जरुरी है
तेरे बिन सम्मान अधूरी है ।
बदन ढका है तेरे सहारे
तुछे पहनती दुनिया सारी
तेरे बल पे भिखारी बन जाऊ
तेरे बल पे आदर्श मैं पाऊ
तुछे से बचती सबकी लाज
तुझ से सजती सर पर ताज
इसे समझना न तू बकरा
ये त सिम्पल सा है कपडा ।
नाम =देवराज
अपना घर
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