शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

कविता: कौन है वो ...

"कौन है वो"

ओस की चमकती बूँद जैसी निर्मल
फूलों की पंखुड़ियों जैसी कोमल ।।
रंगीन तितलियों की वह सहेली  है
कभी वो लगती एकदम अकेली है
रेशम की नाजुक डोर सी लगती है
 सुबह की ठंढी हवा सी चलती है
खुश्बू की मद्धिम बयार सी बहती है
वो हर बातें अनकही सी कहती है।

कवि: देवराज, कक्षा 6th, अपना घर, कानपुर नगर

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