"कौन है वो"
ओस की चमकती बूँद जैसी निर्मल ।
फूलों की पंखुड़ियों जैसी कोमल ।।
रंगीन तितलियों की वह सहेली है ।
कभी वो लगती एकदम अकेली है ।।
रेशम की नाजुक डोर सी लगती है ।
सुबह की ठंढी हवा सी चलती है ।।
खुश्बू की मद्धिम बयार सी बहती है ।
वो हर बातें अनकही सी कहती है।।
कवि: देवराज, कक्षा 6th, अपना घर, कानपुर नगर
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