गुलाब की पंखुड़िया जैसे छोटे -छोटे बच्चे
हंस रहे है मुस्कारा रहे है
चिल्ला रहे है बच्चे
इधर कूदे उधर कूदे
मौज करे बच्चे
कोमल जैसे है छोटे बच्चे
हसे तो पंखुड़िया खुल जाए
एक पेड़ की टहनी जैसे बच्चे
बगीचे की फूल जैसे बच्चे
राज कुमार
कक्षा - ६
अपनाघर ,कानपुर
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