आज कही से सुंदर आई
आज कही से सुंदर आई
मन को मेरी लुभाई
मैने उस आवाज का आनद
उठाई रात से गई सुबह मुझे
न आई सोने का मेरा मन कर
रहा था परन्तु आवाज सुनकर
नीद नहीं आई उठकर
जागवर खड़े हो गए
मैंने तुरन्त उस आवाज
को बंद करवाई
विक्रम कुमार
कक्षा -५
अपना घर कानपुर
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