गरीब
ये गरीब हमारी शान
सच कहूँ तो हामान
काम के लिए हे ये गिरिता
नमक रोटी से अपना काम चलता
क्या कहूँ मैं इन सब की कहानी
सुखा देगा ये नदियाँ -तालाब की पानी
खुदा से कहता हैं ये मेरा मन
ऐसे व्यक्ति का प्राण से न छेटे तन
लगा देगा हर मुसीबत में जान
सच कहूँ तो यारा गरीब हैं महान
यह बड़ी -बड़ी इमारते की कहानी
इन पर इनकी बड़ी मेहरबानी
ये गरीब हैं हमारी शान
सच कहूं तो हैं महान
देवराज कुमार
कक्षा =५
(अपना घर ,कानपूर )
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