नारी
ये नारी तुम क्यों घुमती है
मारी -मारी तुम्हे इस दुनिया
में क्यों भेजा कस सहती
हैं तू भारी -भारी तू इस
कठिन इस्तिथि को सहती
पर तेरे जुबान हंसी की
मुस्कुराहट नही हटती
तू इस देश की माँ भी कहलाती हैं
पर तुम इस दुनिया में रखती हैं पॉंव
एक गट्ठर की बोझ कहलाती हैं
विक्रम कुमार
कक्षा =५
(अपना घर ,कानपूर )
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