आधी आजादी
हो गई है देश की आजादी ,
छा गया है फिर से अन्धेरा....
सोचा था कि कुछ पल कुछ दिन जी लूँ ,
करू रात को दिन जैसा उजियारा .....
पर चोर और बदमाश नेताओं ने ,
फिर से इस उजियारे को घेरा ....
गुलामी से आजादी मिली ,
फिर आजादी वो भी काली .....
फर्क बस इतना है कि ,
गोरे तो गए लेकिन काले आये......
लेखक : सागर कुमार
कक्षा : 8
अपना घर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें