कविता - सपना
सपनों में क्यों देखता है मन ,
सपने में डूब जाता हैं हमारा तन .......
रात में आते हैं सपने ,
लगता हैं सपने हो गए हैं अपने.....
सपने में पहुँच जाते हैं आकाश में ,
लगता हैं पहुँच गए हो सूरज तारो के पास में .....
सपने क्यों देखता हैं मन ,
आखिर सपने क्यों आते हैं......
बिना बताये चले आते हैं ,
और हम सपनो में खो जाते हैं......
सपने क्यों देखता हैं मन ,
सपने में डूब जाता हैं हमारा मन ...... लेखक - मुकेश कुमार
कक्षा - १० अपना घर, कानपुर
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