बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

कविता : प्रदूषण

 प्रदूषण 

लोग कर रहें हैं बहुत प्रदूषण ,
फैला रखा है सभी जगह प्रदूषण....
जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण ,
सब जगह प्रदूषण ही प्रदूषण ....
जल में लोग कर रहें गंदगी,
खतरे में है अब सबकी जिन्दगी .....
वायु हो रही है प्रदूषित इतनी सारी ,
येसे तो जीवन जीना होगा भारी ......
सबसे बस यही है कहना 
प्रदूषण न तुम करना 
लेखक : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर  

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

hamara bhi yahi kehena hai प्रदूषण ko roko
ham to jilenge apne home me par vo jo dust me hi rehte hai