शनिवार, 10 दिसंबर 2011

कविता : हमारा ब्रह्माण्ड

 हमारा ब्रह्माण्ड 
क्या-क्या है इस ब्रह्माण्ड में,
सोंच कर होता है आश्चर्य......
क्या होगा इस ब्रह्माण्ड के बाहर,
इन बातों को सोचकर होता आश्चर्य.....
क्या कहीं और भी है दुनियाँ,
कैसे होगें लोग वहां के.....
कैसा होगा उनका जीवन,
आश्चर्य होता ये बातें जानकार.....
क्या है ये अपना ब्रह्माण्ड ,
बड़ी आजीब है इसकी कहानी.......
क्या-क्या है इस ब्रह्माण्ड में ,
यह बात हमनें कब जानी .....
 लेखक : धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर    

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