अधूरी कविता
कविता अब बन नहीं रही !
शब्द अब कोई मिल नहीं रहे !!
जब बैठता हूँ मैं कविता लिखने !
तो मन मचल उठता है कहीं और !!
सोचा मैने देख लूँ कुछ पुरानी कवितायेँ !
सीख लूँ कुछ उनसे जान लूँ कुछ उनसे !!
नहीं आया समझ में कुछ !
तो लिख डाला !!
कुछ टूटे-फूटे शब्दों से !
फिर एक अधूरी कविता !!
लेखक : ज्ञान कुमार
कक्षा : 8
अपना घर
कविता अब बन नहीं रही !
शब्द अब कोई मिल नहीं रहे !!
जब बैठता हूँ मैं कविता लिखने !
तो मन मचल उठता है कहीं और !!
सोचा मैने देख लूँ कुछ पुरानी कवितायेँ !
सीख लूँ कुछ उनसे जान लूँ कुछ उनसे !!
नहीं आया समझ में कुछ !
तो लिख डाला !!
कुछ टूटे-फूटे शब्दों से !
फिर एक अधूरी कविता !!
लेखक : ज्ञान कुमार
कक्षा : 8
अपना घर
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर
कभी हमारे मचान पर भी आइये !
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