रविवार, 6 मार्च 2011

कविता - हुआ सबेरा

हुआ सबेरा 

सुबह सुबह जब चिड़ियाँ बोली.
माँ ये बोली बेटा मुन्ना उठ जा  तू ..
देर बहुत जब हो जायेगी .
तो स्कूल कब जाओगे..
मम्मी एक दिल की बात हैं.
पापा कि वह बाइक कहाँ ..
उससे मैं चला जाउँगा.
फिर तो देर कभी  न होगी..  
रजाई में घुस जाऊंगा . 
एक और नीद सो जाऊँगा..  
जब पता चली थी यह बात ..
सपना देखा था वह रात .
रजाई से उठे फिर झट से.. 
 पहुँच गए स्कूल पट से
लेखक - तुलसी , कक्षा - ७ , अपना स्कूल , कानपुर

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

आजकल शीर्षक अंग्रेजी में क्यूँ दे रहे हो...कुछ खास कारण या हिन्दी पर भरोसा नहीं रहा. अच्छा नहीं लगता.

Shah Nawaz ने कहा…

वाह बढ़िया लिखा है तुलसी ने...

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

बहुत सुन्दर और प्यारी कविता ..बधाई.

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पाखी बनी परी...आसमां की सैर करने चलेंगें क्या !!