रविवार, 30 जनवरी 2011

कविता: हम बच्चे हैं..............

 हम बच्चे हैं......

बच्चे हैं, हम बच्चे हैं ,  हम बच्चे हैं हम ....
हम अच्छे हैं, हम सच्चे हैं,
हैं थोड़ा कच्चे हम .
हम करते हैं शैतानी, थोड़ा हैं नटखट,
धमा चौकड़ी खूब मचाते, करते उठा पटक.
हम बच्चे हैं, हम बच्चे ....
सपने हमको खूब हैं आते,
परियों के हम देश में जाते.
चाट और टाफी हमको भाते ,
पंख लगा कर हम उड़ जाते .
हम बच्चे हैं, हम बच्चे हैं .....
करते हैं नादानी  हम, पीते खूब हैं पानी हम, 
नानी के घर जाते हम, मिलकर मजे उड़ाते हम. 
हम बच्चे हैं, हम बच्चे हैं ......
आओं तुम भी मिल जाओ ,
हम संग बच्चे बन जाओ .
छुक -छुक कर के रेल चले जब,
तुम भी डब्बे बन जाओ .
हम बच्चे हैं, हम बच्चे हैं ,
हम बच्चे हैं हम ......

हम अच्छे हैं, हम सच्चे हैं,
है  थोड़ा  कच्चे हम.... 


लेख़क: महेश, अपना घर 

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है-ऐसे ही लिखते रहो!

Mrityunjay Kumar Rai ने कहा…

बहुत सा प्यार

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर कविता ....

बेनामी ने कहा…

सुन्दर रचना!

आपकी चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी तो है!
http://mayankkhatima.uchcharan.com/2011/02/30-33.html