मंगलवार, 18 जनवरी 2011

कविता : खेल

खेल

खेल हम तो खेलते हैं ।
संसार मैं आगें बढ़ते हैं ॥
दुनियाँ भर में हम खेलते हैं।
कोई जीतता है कोई हारता है ॥
खेल संसार में होता है ।
फिर जीवन आगें बढ़ता है ॥

लेख़क :चन्दन कुमार
कक्षा :5
अपना घर

1 टिप्पणी:

nilesh mathur ने कहा…

चन्दन, बहुत सुन्दर, लिखते रहो!