एक किसान गया कलकत्ता ।
उसने खाया पान का पत्ता ॥
मुँह हो गया उसका लाल ।
उसने किया रात में मुर्गे को हलाल ॥
जब उसने पेट भरकर खाया ।
उसने घर में किसी को नहीं बताया ॥
जब किसान के घर में बदबू आई ।
उसकी पत्नी सह ना पाई ॥
एक किसान गया कलकत्ता ।
उसने खाया पान का पत्ता ॥
लेखक -मुकेश कुमार
कक्षा -८
अपना घर
कक्षा -८
अपना घर
4 टिप्पणियां:
... bahut sundar !!
bahut khub
अच्छा किसान था, पत्नी को साथ ले कर गया था न!
मज़ा आ गया..पढ़कर और अपने आएश , आमश को सुनाकर!!
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