आसमान में है जो तारे,
टिम - टिम कर टिमटिमाते सारे।
टिमटिमाते है जो तारे,
देखने में लगते है कितने प्यारे।
आसमान में एक सूरज अपना,
जिसके बारे में हम देखे सपना।
ये धरती सहती है कितना भार,
जिस पर है पूरा संसार।
पृथ्वी पर ही है बस हरियाली,
सूरज में ही है बस लाली।
ये संसार है कितना अनोखा,
जिसे सोचने में होता है धोखा।
धर्मेन्द्र कुमार, कक्षा ७, अपना घर
1 टिप्पणी:
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