शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

कविता: समझ में न आता

समझ में न आता

मुझे समझ में नहीं आती,
मेरे मन में एक बात...
बड़े बड़े आफिसर,
चलते फोर्स को लेकर...
फोर्स में मानव ही होते,
कोई जानवर नही होते...
अगर बीच में कभी युद्ध,
तो मानव ही मारे जाते...
आफिसर बैठ गाड़ी में,
आफिस को चले जाते...
दुख होता है,
इन अफसरों से.....
जो अपनी जान बचाकर,
चुपके से निकल जाते...
आम लोग ही मरते है,
वह अपने ख्यालो में है....
डूबे रहते है,
मुझे समझ में नही आती...



लेखक -अशोक कुमार, kksha 6, apna घर, 15/12/2009

1 टिप्पणी:

sandhyagupta ने कहा…

Sahi nishana hai.

Nav varsh ki dheron shubkamnayen.