थरंगा और पतरंगा
एक बार की बात है । एक जंगल में एक भालू रहता था। जंगल में वह मस्ती से रहता था, ढेर सारे फल और शहद खाकर, आराम से पेड़ के नीचे सोता था। जंगल के सभी जानवर उसे थरंगा कहकर बुलाते थे। थरंगा अपना नाम बुलाने पर बहुँत खुश होता था। पेड़ के नीचे बैठकर वो कहानी और कविता लिखता था। धीरे - धीरे वो जंगल का बहुँत बडा लेखक बन गया। उसने एक कविता लिखी.....
भालू हूँ मै भालू हूँ।
खाता सौ ग्राम आलू हूँ ॥
खाता सौ ग्राम आलू हूँ ॥
उसी जंगल में एक खरगोश रहता था। वो दिन भर गाजर खाता और जंगल में जगह - जगह पेंटिंग करता। उसके पेंटिंग जंगल में जगह - जगह बहुत सुंदर दिखाई देते थे। जंगल के सभी उसे प्यार से पतरंगा कहकर बुलाते थे। पेडों पर पर वो घूम - घूम कर मौज करता था। एक दिन थरंगा और पतरंगा दोनों आपस में मिल गए। थरंगा कहानी लिखता और पतरंगा उसमे पेंटिंग बनाकर लगा देता। थरंगा और पतरंगा दोनों मिलकर जंगल में सभी
जानवरों के साथ बड़े मजे से रहने लगे।
जानवरों के साथ बड़े मजे से रहने लगे।
कहानी:- स्टुवर्ट, अपना घर, कक्षा ७
पेंटिंग:- जितेंद्र कुमार, कक्षा ६
पेंटिंग:- जितेंद्र कुमार, कक्षा ६
1 टिप्पणी:
बढ़ी अच्छी लगी जंगल की कहानी पढ़कर . धन्यवाद.
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