बसन्त का महीना कितना सुहाना।
लगे सभी के मन को सुहाना॥
बाग - बगीचों में हरियाली।
खेतों में छाई हरियाली॥
क्यारी के किनारे फूल है॥
नीले - पीले, गुलाबी लाल है।
फूलों के ऊपर तितली है॥
कितनी सुंदर लगती है।
जब तितली आसमान में उड़ती है।
बिल्कुल परियों जैसी लगती है॥
उनको देख के ऐसा लगता।
काश की हम तितली बन जायें॥
उनके संग हम खेल - खेल में।
आसमान में उड़ते जाए ॥
बसंत का महीना कितना सुहाना।
लगे सभी के मन को सुहाना॥
आदित्य तिवारी, अपना घर, कक्षा ६
लगे सभी के मन को सुहाना॥
बाग - बगीचों में हरियाली।
खेतों में छाई हरियाली॥
क्यारी के किनारे फूल है॥
नीले - पीले, गुलाबी लाल है।
फूलों के ऊपर तितली है॥
कितनी सुंदर लगती है।
जब तितली आसमान में उड़ती है।
बिल्कुल परियों जैसी लगती है॥
उनको देख के ऐसा लगता।
काश की हम तितली बन जायें॥
उनके संग हम खेल - खेल में।
आसमान में उड़ते जाए ॥
बसंत का महीना कितना सुहाना।
लगे सभी के मन को सुहाना॥
आदित्य तिवारी, अपना घर, कक्षा ६
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