मेरे प्यारे दोस्तों मै एक नन्हीं सी ईट आज आपको अपनी कहानी सुनाती हूँ। मै आपको हर जगह मिलूंगी क्या गरीब की झोपड़ी या आमीरी के महल..... मै कभी किसी थके हुए मेहनतकश का पलंग बनती हूँ तो कभी बच्चों का खिलौना.... मेरा सफर सदियों से जारी है.... मुझे जन्म देने वाले लोग पहले मिट्टी की खुदाई करके उसे पानी से भिगोते है, फ़िर अच्छी तरह गूंथने के बाद ... प्यारे - प्यारे हाथों से मै सजती- सवरंती जन्म
लेती हूँ... लेकिन मै अभी बहुत ही कमजोर होती हूँ । मै धूप का आनन्द लेते हुई अपने जन्मदाता के खून पसीने की महक को महसूस करती हुई..., उनके सुख - दुःख: मै शामिल होती हूँ.... कुछ दिन धूप मे सूखने के बाद मै घोड़े की सवारी करके आग जलती भठ्ठे में पहुँचती हूँ.... गरम - गरम आग में पककर मै मज़बूत होकर करीब १४ दिनों बाद बाहर आती हूँ ... मेरा रंग अब बदलकर सूरज की तरह लाल सुर्ख हो चुका होता है......अब मै इंतजार करती रहती हूँ अपने गंतव्य को जाने का..... अलविदा ......................................
3 टिप्पणियां:
bahut khoob ...khaskar eet banaye jane ke chitra ...majedar
eent ki kahani apki jubani bahut sunder ban padi hai bdhai
जहाँ नेताओं और जूतों से हिंदी ब्लागजगत भरा जा रहा है, वहीं ईट जैसी महत्त्वपूर्ण चीजों को हम कैसे नजरअंदाज कर देते हैं! ईट वैसे तो एक साधारण विषय होना चाहिये था, लेकिन जिस तरह ईट पर लिखी आपकी यह पोस्ट असाधारण प्रतीत होती है, उससे चिट्ठे लिखने वालों की मानसिकता पता चलता है।
एक नजर से देखा जाये, तो ईट के बिना राष्ट्रनिर्माण असंभव है! ईटों की तस्वीरें भी बहुत पसंद आयीं - ईटों की भट्ठी देखे हुये बरसों हो चुके हैं!
कुल मिलाकर आपको दस में से दस नंबर दिये जाते हैं!
एक टिप्पणी भेजें