सफाई की सीख
नदी के किनारे पर एक बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर एक घोंसला बना कर एक गौरिया रहती थी। उसी पेड़ के नीचे बिल बनकर एक खरगोश रहता था। कुछ दिनों बाद गौरेयाने दो अंडे दिये, फ़िर उन्हें सेयाऔर फोड़ा तो उनमे से दो नन्हे - मुन्हे बच्चे निकले। जब बच्चे कुछ खाते थे तो, जो बचाता था वह सब खरगोश के बिल के पास फेंक देते थे। खरगोश कुछ दिनों तक तो नही बोला पर एक दिन खरगोश ने गौरिया से कहा की गौरिया बहन तुम्हारे बच्चे बहुँत शरारती है, खाने के बाद जो भी कुछ बचता है, वह मेरे बिल के पास फेंक देते है। मै चाहता हू की तुम सारा कूड़ा इकठ्ठा करके उसे कंही जमीं में दबा दो। गौरेया गुस्सा गई और गुस्से में आकर बोली चल भाग यंहा से अगर तुम्हे यंहा रहना है तो गन्दगी सहनी ही पड़ेगी, वर्ना पेड़ पर आकर रहने लगो। खरगोश बोला मेरे पास तो पंख नही है मै पेड़ पर कैसे रह सकता हू। खरगोश और गौरेया की बातो को पास के एक पेड़ पर बन्दर बैठा हुआ सुन व देख रह था। खरगोश अंततः परेशां होकर अपना बिल छोड़कर कंही दूसरी जगह चला गया। कुछ दिनों बाद गौरैया ने अपने बच्चो का जन्मदिन मनाया, सभी मेहमान आए हुए थे। बन्दर भी आया हुआ था, वो पेड़ पर सबसे ऊपर चढ़ गया और वंहा पर बैठ कर आम खाने लगा। आम खाते जाता और उसकी गुठली तथा छिलका गौरैया के घोंसले में फेंकने लगा। जब गौरिया ने यह देखा तो वो परेशां हो गई और बन्दर से ये कहा की तुम्हे दिखाई नही देता क्या ?जो यंहा पर गंदगी फैला रहे हो। बन्दर ने कहा की आज तुम्हे गंदगी नजर आ रही है। जब तुम्हारे बच्चे खरगोश के बिल में गंदगी फैला रहे थे तब तुम्हे समझ में नही आ रहा था और आज गंदगी की बात कर रही हो। अंतत गौरैया को अपनी गलती का एहसास हो गया वो अपनी गलती मान ली और बन्दर से मांफी मांगी।
आदित्य कुमार
कक्षा ६, अपना घर
1 टिप्पणी:
Aditya tumhari Kahani bahut majedaar hai. tum is par par ek badhiya natak bhi bna sakte ho! agar meine is par kabhi natak bnaya to mein tumhe uska video bhejungi!
Shabash!
Sarita
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