बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

कविता:- मेरी पतंग

मेरी पतंग
पतंग है मेरी कितनी प्यारी
आसमान में उड़ है
फ़िर नीचे आ जाती है
मेरी बात मान जाती है
फ़िर ऊपर उड़ जाती है
सर-सर - सर उडी पतंग
रंग बिरंगी उडी पतंग
पतंग मेरी नही है कटती Align Centerऊपर आसमान में उड़ती है
पतंग है मेरी कितनी प्यारी
देवेन्द्र
५ अपना घर

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

bahut hi nanna sa and dulara sa kavita hai