बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

कविता:- प्यारी चप्पल

प्यारी चप्पल
कितनी प्यारी चप्पल है
रबर की बनी होती है
कोई होती काली और कोई पीली
लेकिन सब होती एक जैसी
जो चप्पल नही पहनते
उनके पैर में लगते है कांटे
जो चप्पल जूते पहनते
उनके पैर में कभी नही लगते कांटे
कितनी प्यारी चप्पल है
वह रबर की बनी होती है
आदि केशव
कक्षा ६, अपना घर

1 टिप्पणी:

Sarita ने कहा…

Priye Aadi Keshav,
Tumhari kavita bahut achchi hai.mein tumhari kavita apni class ke bachchon ko jaroor sunaaungi, unhe bhi behad pasad aayegi.mein bhi sochti hu ki chappal na bani hoti to hum sabke pairo mein kitne kaante aur paththar chubhte.
Likhte raho!
Sarita