बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

कविता:- लाल टमाटर

लाल टमाटर

लाल टमाटर, लाल टमाटर

तुम कितने अच्छे लगते हो

लाल लाल होते हो

खा जाते है तुमको बच्चे

कोई होता है हरा टमाटर

कोई होता है लाल

कोई टमाटर होता है मीठा

कोई टमाटर होता है खट्टा

लाल टमाटर लाल टमाटर

तुम लगते हो कितने अच्छे

लाल लाल होते हो

खा जाते है तुमको बच्चे

अक्षय कुमार

कक्षा ६ अपना घर

2 टिप्‍पणियां:

Sarita ने कहा…

Pyaare Akshay
tumhari kavita padhkar muh mein paani aa gya! mein jab choti thi to mujhe tamatar khana pasand tha. sab ghar mein daante rehte par mein chupkar saare tamatar khatam kar deti thi!
sundar kavita ke liye shukriya
Sarita

Unknown ने कहा…

Lovely poem