"किसानों की मेहनत"
खेतो में फसले छाई है,
सबके मन के भाई है ,
चारो ओर सरसो पीले - पीले और हरियाली छाई है ,
कुछ घासों की वजह से, फसले रुक जाती है ,
जैसे ही वो घास हटाते है तो ,
फिर वो फसले अपने लक्ष्य की ओर छा जाती है।
खेतो में हरे - भरे फसले छाई है चारो ओर छाई है,
किसानो की मेहनत रंग लाई है,
हरे - भरे फूलों से खेतो में सजाई है,
किसानों की मेहनत से चारो ओर हरियाली छाई है।
फसले भी हर दिन संघर्ष करती है ,
छोटे - बड़े परिस्थितयों से लड़ती है ,
हर दिन नीचे से उठ - उठकर।
एक दिन वो अपने लक्ष्य को छू जाती है खेतों में ,
खेतो में फसले छाई है ,
सबके मन के भाई है ,
चारो ओर हरियाली, ही हरियाली छाई है ,
खेतो में फसले लहलहाई है।
कवि: नवलेश कुमार, कक्षा: 11th,
अपना घर
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