"क्या हो गया है मुझे ?"
क्या हो गया है मुझे ?
थोड़ा सा गुस्सा तो कही चिड़चिड़ापन होने लगा हूँ,
मेरे शांत मन को बहकाने लगा है,,
गुस्सा भी दिलाने लगा है
क्या हो गया है मुझे ?
अब तो कुछ भी याद नहीं रहता है,
पीछे हटता जा रहा हूँ,
अंदर ही अंदर टूट रहा हूँ,
मेरे हर दोस्त दूर हो रहे है,
बात करने का मन नहीं करता है,
क्या हो गया है मुझे ?
मैं पागल हो रहा हूँ इन सब चीजों से,
दिन पे दिन दूर हो रहा हूँ,
खाने का तो मन करता है पर खो जाते हो,
बार - बार मन मेरे को इधर - उधर भटकता हो,
सब चीज तो मेरा गुस्सा करवाता है
क्या हो गया है मुझे ?
कवि: निरु कुमार, कक्षा; 9th,
अपना घर।
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