"परीक्षा के दिन"
अब परीक्षा के दिन आया ,
पढ़ाई पर सबको जोर दिलवाया।
एक दिन के गैप में,
सब कुछ रटवाया।
सौ दिन की संघर्ष,
एक दिन में करवाया।
अब परीक्षा के दिन आया ,
खेलने - कूदना बन्द करवा दिया।
अब परीक्षा के दिन आया।
कवि: नरेंद्र कुमार, कक्षा: 3rd,
अपना घर।
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