रविवार, 7 दिसंबर 2025

कविता: "परीक्षा के दिन"

"परीक्षा के दिन"
अब परीक्षा के दिन आया ,
पढ़ाई पर सबको जोर दिलवाया। 
 एक दिन के गैप में,
सब कुछ रटवाया।  
सौ दिन की संघर्ष,
 एक दिन में करवाया। 
अब परीक्षा के दिन आया ,
खेलने - कूदना बन्द करवा दिया। 
अब परीक्षा के दिन आया। 
कवि: नरेंद्र कुमार, कक्षा: 3rd,
 अपना घर। 

कोई टिप्पणी नहीं: