मंगलवार, 18 अगस्त 2020

कविता : बादल

" बादल "

बादल भी कुछ कहना चाहता है ,

 अपने बातो को बताना चाहता है| 

धुआँ  -धूल से हो रहे परेशान ,

बनकर ज़हरीली बूंद बरस रहे है | 

नहीं समझ रहे इंसान ,

कोई -लकड़ी तो कोयला | 

कोई -डीजल तो कोई पेट्रोल जला रहे है | 

नहीं रख रहे पर्यावरण का ख्याल ,

एक दिन होगा सभी का बुरा हाल | |

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 10 , अपना घर 

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