रविवार, 23 अगस्त 2020

कविता : कुछ करना है तुम्हें

" कुछ करना है तुम्हें "

हर कदम  सतर्क  है रहना,

कहीं भी कुछ हो सकता है | 

जिंदगी  मुड़ाव सकताहै ,

तुम्हारी जो चाहत है,

उसमें रूकावट  आ सकती है

जितनी भी रुकावटें हो ,

लड़ना कोई भी मुश्किल से न डरना,

क्योंकि तुम्हें है  कुछ करना | | 

कवि : विक्रम कुमार , : कक्षा 10th ,  अपना घर

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