बुधवार, 9 जनवरी 2019

कविता : बच्चों ने जैसे छोड़ा खेल

" बच्चों ने जैसे छोड़ा खेल "
 "बच्चों ने जैसे छोड़ा खेल "

 "बच्चों ने जैसे छोड़ा खेल "

बच्चों ने जैसे छोड़ा खेल,
खेल ने दिया उन्हें पढ़ेल |
कर दिया उनको मोटा - मोटा,
जिनका सहारा बन गया अब लंगोटा |
करने को पेट का साइज़ छोटा,
परन्तु अब यह उनसे नहीं होता |
पहले जो थे हट्टे - कट्टे,
अब दीखते हैं मोटे - मोटे |
इसका पड़ा स्कूली बच्चों पर असर,
खेल ने निकाली पूरी कसर |
बच्चों ने जैसे छोड़ा खेल,
खेल ने दिया उन्हें पढ़ेल |

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर


कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है और समीर इलाहबाद के रहने वाले हैं | समीर को क्रिकेट से बहुत प्रेम है और उन्हें क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है | समीर को क्रिकेट के आलावा कवितायेँ लिखना भी बहुत पसंद है | समीर एक संगीतकार बनना चाहते हैं |





2 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

बच्चों के लिए पढ़ने के साथ साथ खेलों में भाग लेना भी बहुत आवश्यक है... बहुत सुन्दर बाल रचना

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अदालत में फिर अटका श्रीराम जन्मभूमि मामला : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...