बुधवार, 28 नवंबर 2018

कविता : इस दुनियां के बीच

" इस दुनियां के बीच "

बड़ी सी इस दुनियां के बीच,
कुछ तो है मेरे लिए खास |
मिलेगा की नहीं मिलेगा,
फिर भी आगे बैठा हूँ आस |
बड़ी सी इस दुनियां के बीच | |
कहीं न जाए वो खो,
मेरी एक भूल से अनोखी न जाए हो |
जिसकी मुझे बरसों से है कामना,
मुझे डर सा लगा रहता है |
कहीं बुझ न जाए मेरी ये आस,
जिसका है मुझे बरसों से विश्वास |
बड़ी सी इस दुनियां के बीच,
कुछ तो है मेरे लिए खास |


कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है | समीर को कविता लिखना बहुत पसंद है और समीर एक अच्छे कविकर बनना चाहते हैं | समीर को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है और क्रिकेट में विराट कोहली को अपना गुरु मानते हैं | समीर अपना घर में रहकर अपपनी पढ़ाई कर रहे हैं | चेहरे पर हमेशा ख़ुशी रहती हैं |

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