" इस दुनियां के बीच "
बड़ी सी इस दुनियां के बीच,
कुछ तो है मेरे लिए खास |
मिलेगा की नहीं मिलेगा,
फिर भी आगे बैठा हूँ आस |
बड़ी सी इस दुनियां के बीच | |
कहीं न जाए वो खो,
मेरी एक भूल से अनोखी न जाए हो |
जिसकी मुझे बरसों से है कामना,
मुझे डर सा लगा रहता है |
कहीं बुझ न जाए मेरी ये आस,
जिसका है मुझे बरसों से विश्वास |
बड़ी सी इस दुनियां के बीच,
कुछ तो है मेरे लिए खास |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
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