" तितली के सुनहरे पंख "
तितली के सुनहरे पंख,
देखकर मन बहल जाए |
छुओ तितली के कोमल पंखों को ,
तो टिम -टिमाते हुए उड़ जाए |
सुनहरे से मौसम के पल में,
तितली की रंगों की रौशनी |
उनके सुंदर पंखों से निकलती है,
पंखो में कुछ जादू है जिससे |
जुगनू के रंग जैसे बदलती है,
बाग - बगीचों में तितली रंग |
सुनहरे से तारे टिमटिमाते हैं,
थोड़ी सी किरण तितली पर पड़ती है |
कोमल से पंख टिमटिमाकर बताती है,
पंख हिलाकर पास चली आती है |
तितली के सुनहरे रंग संसार में बिखर जाए
फिर से नई एक दुनियाँ बन जाए |
कवि : सनी कुमार , कक्षा : 6TH ,अपनाघर
कवि खेल में बहुत अच्छा प्रदर्शन करते हैं | परिचय : यह है सनी जो की बिहार के नवादा जिले से आकर अपनाघर में अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे है | ये चाहते है की मैं अपने घर की लाइफ स्टाइल बदलूँगा | जिससे की मेरा परिवार और खुशहाल व खुश होकर जिए |
2 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर शब्दावली ।
Great lyrics!!!
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