" ठंडी का मौसम आया "
ठंडी का मौसम आया है
उनींदार कपड़ें है लाया है |
बिना स्वेटर लगती है ठंडी,
पहनो टोपी पूरी ठंडी |
ठिठुर रहे हैं हाथ हमारे,
चलो बैठते हैं आग के किनारे |
कोहरा भी होता है इस दिन,
देख कर चलो भईया नहीं तो
भिड़ोगे किसी दिन | |
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर
कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | अपनाघर में रहकर पिछले तीन सालों से पढ़ाई कर रहे हैं | कवितायेँ बहुत अच्छी लिख लेते हैं तथा डांस भी बहुत अच्छा कर लेते हैं | हमेशा मुस्कुराते रहते हैं |
4 टिप्पणियां:
ढेरो आशीष। कल्पना के इस उड़ान को और पंख लगने दो।
सुन्दर
बहुत शानदार
बधाई और शुभकामनाये
बहुत सुन्दर
शुभाशीष..
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