शुक्रवार, 3 नवंबर 2017

कविता : माँ

" माँ "

माँ होती है सबसे पारी, 
सुनती है हर बात हमारी | 
खाना भी वो खिलाती है, 
सपनों में वो आती है | 
माँ होती है सबसे प्यारी, 
अच्छी बातें बताती है | 
स्कूल तक ले जाती है, 
स्कूल में डांट भी खाती हैं | 
फिर वो मुझको समझती है,
माँ होती है सबसे प्यारी,
सुनती है हर बात हमारी | 
जब करते है हम शैतानी, 
याद  दिला देती है नानी | 
फिर वो खाना खिलाती है, 
हर चोंट में मरहम लगाती है | 
माँ होती है सबसे प्यारी, 
सुनतु है हर बात हमारी |  

कवि : ओमप्रकाश , कक्षा : 6TH , अपनाघर

कवि परिचय : यह ओमप्रकाश जी हैं जो की छत्तीसगढ़ से यहाँ अपनाघर प्रांगड़ में अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए आये हुए हैं | कविता लिखने के आलावा चित्र /पेंटिंग करना बहुत अच्छ लगता है | अपने माता पिता के सपने को पूरा करना चाहते है | 

13 टिप्‍पणियां:

'एकलव्य' ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार ०६ नवंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

BAL SAJAG ने कहा…


बहुत बहुत शुक्रिया ध्रुव जी बाल सजग की रचनाओं को अपने ब्लॉग में स्थान देने के लिए.. हम लोग आपके ब्लॉग पर जरुर आयेंगे पढने के लिए शुक्रिया..

Sweta sinha ने कहा…

बहुत सुंदर भाव भरी कविता आपकी ओमप्रकाश,मेरा खूब सारा आशीष एवं शुभकामनाएँ आपके लिए।

Meena Bhardwaj ने कहा…

बहुत सुन्दर‎ भाव हैं आपकी कविता में . सस्नेह आशीर्वाद ओम प्रकाश .

Sadhana Vaid ने कहा…

सृष्टि की सबसे अनमोल रचना होती है माँ ! आपने बहुत ही प्यारी और भावपूर्ण रचना लिखी है माँ पर ओमप्रकाश ! माँ ऐसी ही होती है ! प्यार भी करती है तो ग़लती करने पर सज़ा भी देती है ! भाषा पर ध्यान देंगे तो रचना में और निखार आयेगा ! इसी प्रकार प्रयास करते रहिये ! मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं !

Rajesh Kumar Rai ने कहा…

खूबसूरत रचना । माँ के बारे में जितना लिखा जाए कम है । लाजवाब प्रस्तुति ओमप्रकाश बाबू ।
ढ़ेरों आशीष एवं शुभकामनाएँ ।

विश्वमोहन ने कहा…

सम्पूर्ण सत्ताएं एक ही परम सत्ता और सम्पूर्ण भाव एक ही परम भाव के अंतर्भूत है. उन परम भावों का प्रादुर्भाव बालपन के उर्वरा प्रांगण में होता है. इसी बात को महाकवि विलियम वर्ड्सवर्थ ने कहा " Child is the father of man " और इसी बात को प्रमाणित किया है आपने अपनी इस रचना में!!! बधाई, आभार और शुभकामनाएं कि सृष्टि के आप सरीखे नव प्रसूनों के सुवास से साहित्य का आंगन सर्वत्र और सर्वदा सुरभित होते रहे!!!! यूँ ही लिखते रहें , सीखते रहें और साहित्याकाश में दीखते रहें !!!!

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना.....
ढेर सा आशीष एवं शुभकामनाएं....

शुभा ने कहा…

वाह!!!बहुत खूबसूरत चित्रण । सस्नेह आशीर्वाद।

अमित जैन मौलिक ने कहा…

बहुत सुंदर। wahhhh। बहुत अच्छा लिखते हो कवि ओमप्रकाश जी

NITU THAKUR ने कहा…

बहुत सुंदर ढ़ेरों आशीष एवं शुभकामनाएँ

renuskshitij.bogspot.com ने कहा…

खेलने कूदने की उम्र में आपके माँ के प्रति ये सार्थक भाव मन को छु गए -- नन्हे कविवर | हमेशा माँ के लाडले
बने रहिये और साहित्य में ऊँचा मुकाम हासिल करिए | ढेरों प्यार और शुभकामनाएं |

Meena sharma ने कहा…

माँ स्कूल में कभी कभी बच्चों की वजह से टीचर की डाँट भी खाती है,फिर भी अपने बच्चे की भावनाओं को समझती है। इतनी कम उम्र में आपकी अभिव्यक्ति बड़ी ही अच्छी है । और लिखिए । शुभाशीष ।