शीर्षक :- जारी
सोचता हूँ जिंदगी में क्या करूँ ।
इस गंदे संसार मे कंहा रहूँ ।।
हर जगह है दुराचारी ।
हर जगह है भ्रष्टाचारी ।।
और हर तरह यौन हिंस्सा है जारी।
सोचता हूँ जिंदगी में क्या करूँ ।।
जिधर देखो उधर है जाती वाद ।
हर चीज के लिय है मारा मारी ।।
इस संसार मे सुरक्षित नहीं है नारी ।
जंहा देखो वही यौन हिंस्सा है जारी ।।
सोचता हूँ जिंदगी में क्या करूँ ।
इस गंदे संसार मे कंहा रहूँ ।।
हर जगह है दुराचारी ।
हर जगह है भ्रष्टाचारी ।।
और हर तरह यौन हिंस्सा है जारी।
सोचता हूँ जिंदगी में क्या करूँ ।।
जिधर देखो उधर है जाती वाद ।
हर चीज के लिय है मारा मारी ।।
इस संसार मे सुरक्षित नहीं है नारी ।
जंहा देखो वही यौन हिंस्सा है जारी ।।
नाम : सागर कुमार
कक्षा : 9
अपना घर , कानपुर
1 टिप्पणी:
तुम जैसे युवाओं को ऐसी निराशा भरी बात नहीं करना चाहिये...तुम्हें ही तो सब कुछ बदलना है..तुमसे ही उम्मीदें हैं...
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