न होती
न होती रात,न होते दिन ,
सुहावनी सुबह ....
सुहावने शाम ,
न होती गर्मियों की गर्मी....
न होती जाड़ों की सर्दी ,
होता केवल बादलों का घेरा,
घोर काला घनघोर अन्धेरा ....
और होती बादलों से बारिश ,
न होती रात,न होते दिन ,
सुहावनी सुबह ....
सुहावने शाम ,
न होती गर्मियों की गर्मी....
न होती जाड़ों की सर्दी ,
होता केवल बादलों का घेरा,
घोर काला घनघोर अन्धेरा ....
और होती बादलों से बारिश ,
लेखक : हंसराज कुमार
कक्षा : 8
अपना घर
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