गुरुवार, 15 मार्च 2012

कविता : मन को जान लूँ

 मन को जान लूँ


कविता मैं सोच रहा था ,
मन की बाते खोज रहा था....
 बातों को गहराई से सोचने लगा ,
कविता भी मेरी आगें बनती गयी .....
 सोचा मैने और कविता को बडाऊ,
जिससे की थोड़ा मैं और दिमाग को लड़ाऊ ......
कविता मैं सोच रहा था ,
मन की बातें सोच रहा था......

लेखक : लवकुश कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर  

1 टिप्पणी:

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

man bada chanchal hota hai ------bahut achchi hai kavita aapki