गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

कविता: एक नया देश बना दो .....

एक नया देश बना दो .....

चाँद से सूरज को मिला दो।
दिलो में जमी बर्फ पिघला दो॥
मै बहुत जोर से प्यासा हूँ।
मुझे थोड़ा पानी पिला दो॥
जमी को आसमां से मिला दो।
दिल की हर नफरत भुला दो॥
पर्दे तो हिलते ही है हवाओ से।
ताकत है तो दीवारों को हिला दो॥
बादल को बादल से लड़ा दो।
आकाश में बिजली चमका दो॥
क्योकि ये जमी है बहुत प्यासी।
इसे जी भर पानी पिला दो॥
हर भरे गोदामों को तोड़ दो।
अनाजों की बोरियां खोल दो॥
हर कोई है यंहा पर भूखा।
हर भूखे को खाना खिला दो॥
सत्य और न्याय को जगा दो।
शांति और प्यार फैला दो॥
हर कोई जी सके सुख से।
ऐसे एक नया देश बना दो॥

लेख़क : आशीष कुमार, अपना घर, कक्षा 8

2 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

हर भूखे को खाना खिला दो॥
सत्य और न्याय को जगा दो।
शांति और प्यार फैला दो॥
हर कोई जी सके सुख से।
ऐसे एक नया देश बना दो॥
....sarv mangal kee sundar kaamnamayee rachne ke liye aabhar..
नव वर्ष २०११ आपके जीवन में सुख, समृद्धि व मनोवांछित फलदायी हो, यह मेरी हार्दिक शुभकामना है.

vallabh ने कहा…

हर भरे गोदामों को तोड़ दो।
अनाजों की बोरियां खोल दो॥

bilkul sach, yahi karna hoga...