बुधवार, 8 सितंबर 2010

कविता मंगाते हैं अब पैसे

माँगते हैं अब पैसे
ये नेता हो गए हैं कैसा ,
माँगते रहते हैं अब पैसे....
सड़को रोड़ो और चौराहों पर,
पुलिस को भी अब देखो....
कैसे वसूलते हैं पैसे,
ये सब हमने अपने आँखों से हैं देखा.....
ये नेता हो गए हैं अब कैसे,
माँगते रहते हैं अब पैसे....
लेखक ज्ञान कक्षा अपना घर कानपुर

4 टिप्‍पणियां:

vallabh ने कहा…

aaj ke adhikansh neta to aise hee hain....

माधव( Madhav) ने कहा…

well written

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सचमुच, आपकी पोस्ट बहुत बढ़िया है।
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इसकी चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/09/16.html

कविता रावत ने कहा…

bahut achhi rachna..