एक सज्जन खा रहे थे खाना ,
खाने में था कड़ी और चावल.....
खाते चले जा रहे थे,
कुछ नहीं देख रहे थे....
जो भी आ रहा था,
गिर रहा था उनकी थाली में....
उनको कुछ होश नहीं था,
न ही वो देख रहे थे .....
अचानक एक मक्खी आयी ,
गरदन में उनके घुस गयी.....
झट से उनको पलती हो गयी,
अटक गयी उनके गरदन में मक्खी .....
पहुचे अपने घर के अन्दर,
निकालो जल्दी मेरी गरदन से मक्खी ....
नहीं तो हम मार जायेगे जल्दी....
लेखक अशोक कुमार कक्षा ८ अपना घर कानपुर
2 टिप्पणियां:
सुंदर रचना
अच्छी सीख..धीरे धीरे देख देख कर चबा कर खाना चाहिये.
शाबास!
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