हे प्रभू....
हम है तेरे बंधू,
घूम रहे है लिए तम्बू...
दे दो हमको काम और ज्ञान,
रहे हम घर परिवार के साथ...
हम है तेरे बन्दे और बंधू,
फ़िर क्यो लिए घूम रहे है तम्बू...
दे दो हमको ऐसा ज्ञान,
घूम के बांटे सबको ज्ञान....
भगवन तुम तो हो सूपर,
एक छत कर दो हमारे ऊपर...
करेंगे ज्ञान का प्रचार,
होगा अच्छाई का प्रसार...
इतन सा तू कर दे काम,
लेंगे हरपल तेरा नाम....
लेखक: अशोक कुमार, कक्षा ७, अपना घर
2 टिप्पणियां:
अच्छी कविता है।
Ashok beta,
ishvar jaroor apakee prarthana sunega aur apkee mangon ko jaroor poora karega.meree bhee shubhakamnayen apke sath hain.
HemantKumar
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