रविवार, 6 सितंबर 2009

कविता: लालू आलू और भालू

लालू आलू और भालू

असली है घोड़ा, उस पर बैठा मोड़ा,
जा पहुँचा वह अल्मोडा...
वहा पर खाया उसने केला,
फ़िर देखा दशहरे का मेला...
मेले में ख़रीदा उसने आलू,
मोड़ा के पीछे पड़ गया भालू...
छोड़ के भागा फ़िर वह आलू,
तब तक गए पूर्व रेलमंत्री लालू...
लालू ने भी ख़रीदा आलू,
उनके पीछे पड़ गया भालू...
लालू को लगा बड़ा ही झटका,
तब तक भालू ने उनको दे पटका...
लालू को जोर से गुस्सा आया,
जल्दी से उसने पुलिस बुलाया...
भालू की जेल में हुई पिटाई,
भालू ने अस्पताल में दवा कराई...

लेखक: आदित्य कुमार, कक्षा ७, अपना घर