मंगलवार, 11 अगस्त 2009

कविता: रसीले आम

रसीले आम

आम क्या है ये रसीले,
पेड़ों पर लगे है पीले-पीले...
सोच रहे है कब जोर से हवा चले,
पीले रसीले आम खाने को मिले...
आम का अब समय आया है,
खट्टे-मीठे आम खाने को जी ललचाया है...
पेड़ों पर लगे है कच्चे-पक्के आम,
बाजारों में इनके कितने महंगे दाम...
आम क्या है ये रसीले,
पेड़ों पर लगे है पीले-पीले ...

लेखक: धर्मेन्द्र कुमार, कक्षा , अपना घर

2 टिप्‍पणियां:

Sudhir Kekre ने कहा…

bahut badhiya. aise hi likhte raho.

बेनामी ने कहा…

me bhi aisha likhana chahati hu